कुछ माह पूर्व अपनी मां को खो चुकी दिव्यांशी ( गुटकू) जिसके पिता भी काम के चलते दूर देश रहते हैं,अपनी दादी व चाची के संरक्षण में है, आज सुबह सुबह ही मुझसे मिली ,अपनी तोतली भाषा में ४ वर्ष की गुटकु ने कहा ” लिचा मैम आज मेला हप्पी बल्डे है ” और लजाते सकुचाते मुझसे लिपटने सी लगी।
बता दूं गूटकु मेरी सबसे छोटी सखी है , हम लगभग प्रति दिन मिलते हैं, खूब सारी बातें भी करते हैं। मेरे अनुसार ही वह अपने सपने भी बुनने लगी है , यह तब पता चला जब उससे किसीने पूछा क्या बनना चाहती हो, तो उसका उत्तर था ” लीचा मैम ने कहा है मै पुलिस इस्पेक्टल बनूनी।”
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अरे मैं तो बात से ही भटक गई.. हां फिर क्या उसके नेह में डूब कर मुझे गंगा स्नान सा सुख मिला और कई दिवस हो भी गए थे मंदिर गए सो आज इस दिव्य अंश का जन्मदिन मना कर तीर्थ यात्रा का पावन सुख भी प्राप्त कर लिया।
कवयित्री ऋचा राय
