आओ छठ मनाएं

छठ महापर्व २०२३


आप सभी जनपदवासियों को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित आमंत्रण

 
यमुना के घाट पर सूर्य भगवान एवम छठी माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें एवम नवीन सुखद अनुभवों का साक्षात्कार करें ।
छठ की घाट सज्जा हेतु श्रम करें।
छठ के दौरा , सूप, कलश का भार अपने सर पर रखें।
व्रती को जल एवम दूध से अर्घ्य दिलाएं।
जो कुछ कर पाएं अवश्य करें।
प्रकृति के पंचतत्वों के समीप छठ व्रती के सान्निध्य में ईश्वर का अनुभव करें..छठ माता के स्थान पर स्वयं के अस्तित्व को त्याग कर अनन्त बन जाने का अवसर है.. 

आओ छठ मनाएं🌹🌹

नहाय खाय : 17/11/2023

खरना : 18/11/2023 , प्रसाद ग्रहण

सायं अर्घ्य : 19/11/2023 , सूर्यास्त: 5:26

उगते सूर्य को अर्घ्य : 20/11/2023 , सूर्योदय : 6:47, प्रसाद ग्रहण

 

CHHATH KA SAMAN

नारियल,धूप, कलशुप, दउरा, गागल,नीबू, पांच फल, कच्चा केला, पान पत्ता, सुपारी, कपूर, लौंग, लाल पीला सिन्दूर, दीपक बाती , घी, तेल, कंद,अनारस, कलश, साठी चावल, चिउरा, गुड़, पत्ते वाली हल्दी, पत्ते वाला अदरक, मूली, अरुई, गन्ना,सिंघाड़ा, सूथनी, बोड़ो , चना, गेंहू, अलता, अगरबत्ती, माचिस, कपड़ा, हवन सामग्री, फूल, आम की लकड़ी, कलावा, गंगाजल, व्रती को नया वस्त्र, शकरकंद, अन्नानास, कुमकुम

 

#लेख २१/११/२०२०
बालपन से ही मां के साथ छठ का अंश बनते बनते आज छठ ही मेरे जीवन का अंश बन गया है। कुछ जिज्ञासु मित्रों के प्रश्नों के उत्तर के रूप में आज मैं छठ के प्रति मेरे कुछ अनुभव को आप सभी से साझा कर रही हूं।
 
छठ किसी वर्ग , वर्ण या क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं है। छठी मां प्रत्येक हृदय का पोषण कर रही हैं आवश्यकता है अनुभूति की।
 
छठ महापर्व का महात्म्य अक्षय है। वसुधा पर जीवन के कारक सूर्य की उपासना युगों से अनवरत चली आ रही है। त्रेता में श्री राम श्री सीता जी के अयोध्या आगमन के उपरांत नकारात्मक ऊर्जा के क्षय के उद्देश्य से छठ पूजा की गई। द्वापर में कर्ण , कुंती , द्रौपदी व पांडवों द्वारा भी छठ पूजा कर सूर्य उपासना के वृतांत वेदों में तथा विशेषकर सूर्य अराधना ऋगवेद में वर्णित है। वैज्ञानिक दृष्टकोण भी छठ अर्घ्य की बेला को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बताता है।पंचतत्वों से बनी मानव काया जब पंचतत्वों ( नदी का जल,पृथ्वी,गगन, दीपक की अग्नि, वायु) के साथ आध्यात्मिकता के चरमोत्कर्ष पर होती है,तो वह ध्यान जीवन को सकारात्मकता , मन को शांति, व तन को बल, आरोग्य प्रदान करता है।
 
मेरा अनुभव है कि छठ महापर्व हमें प्रकृति से जुड़कर स्वयं की प्रकृति से भिज्ञ होने का अवसर प्रदान करता है। सूर्य, वनस्पतियों,जल ,वायु आदि के रूप में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर व प्रतीत होने वाले जीवनदाता,पोषक,पालक,ईश्वर को धन्यवाद करने को प्रेरित कर उनके अवर्णनीय महत्व को विस्मृत ना करने की परंपरा प्रदान करने वाला यह व्रत सामाजिक समरसता में भी वृद्धि करता है।
महा व्रत के नियम हमें अनुशासन, स्वच्छता,प्रेम,धैर्य ,करुणा, सहयोग,एकता का सुंदर एवम् विशिष्ट पाठ पढ़ाते हैं। हमें समाज में प्रत्येक वर्ग के परस्पर अखण्ड संबंध के महत्व को बताते हैं। सबके साथ सहयोग से जीवन यापन की प्रेरणा देते हैं। परिवार में पुत्र- पुत्री, पति पत्नी दोनों ही की विशिष्टता का संदेश देते हैं।पारिवारिक संबंधों को भी सूदृढ़ करते हैं।
 
मैंने देखा है कि जिन क्षेत्रों में छठ की परंपरा समृद्ध है,वहां महीनों पहले से इसकी तैयारी प्रारंभ हो जाती है। सूप, दौरा, दियली,कोशी, दीपक,आलता,सिंदूर, गुड़ , फल अन्य वनस्पतियों की मांग बाजार को अति सक्रिय कर देती है,जिससे ग्रामीण कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है,रोजगार की उत्पत्ति होती है।
छठ मात्र पर्व या व्रत तक नहीं सीमित है। छठ एक तपस्या है, स्वयं ही एक धर्म है । छठ असीमित संभावनाओं से परिपूर्ण कालखंड है। इसलिए तो छठ मां है।
 
तो आएं जीवन को संभावनाएं दें जीवन को सकारात्मकता दें, जीवन को अनुशासन दें जीवन को परम आनंद दें, जीवन को जीवन दें।
#आओ #छठ करें…
लेखिका
ऋचा राय

छठ 2022

छठ 2021

छठ 2020

छठ के गीत

कांच ही बांस के बहंगिया,
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ||
होईं ना बलम जी कहरिया ,
बहंगी घाटे पहुंचाए,
बहंगी घाटे पहुंचाए |
कांच ही बांस के बहंगिया ,
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ||
 
बाट जे पूछे ना बटोहिया ,
बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय |
 
तू तो आन्हर
होवे रे बटोहिया ,
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए |
उहवे जे बाड़ी छठी मैया ,
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए|
कांच ही बांस के बहंगिया
बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ||
 
होईं ना देवर जी कहरिया ,
बहंगी घाटे पहुंचाई,
बहंगी घाटे पहुंचाई ||
 
वह रे जो बाड़ी छठी मैया
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए ||
 
बाटे जे पूछे ना बटोहिया
बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय ||
 
तू तो आन्हर होय रे बटोहिया
बहंगी छठ मैया के जाए,
बहंगी छठ मैया के जाए ||
 
उहवे जे बाड़ी छठी मैया ,
बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए ||
 
 

चार पहर हम जल थल सेविला,
चार पहर हम जल थल सेविला,
सेविला चरण तोहार,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन ॥

मांगू मांगू सेवईका वन फल मांग वे,
मांगू मांगू सेवईका वन फल मांग वे,
जो तोरा ह्रदय समाय,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन ॥

सभवा में बईठन के बेटा माँगिला,
सभवा में बईठन के बेटा माँगिला,
गोड़वा दबन के पतोह,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन ॥

रुनकी झुनकी बेटी माँगिला,
रुनकी झुनकी बेटी माँगिला,
पढ़ल पंडितवा दमाद,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन ॥

ससुरा में माँगिला अन्न धन सोनवा,
ससुरा में माँगिला अन्न धन सोनवा,
नईहर सहोदर जेठ भाई,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे दीनानाथ दर्शन दिहि ना आपन,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन,
हे छठी मईया दर्शन दिहि ना आपन ॥

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ,
हे घूमइछा संसार,
हे घूमइछा संसार।
 
आन दिन उगइछा हो दीनानाथ,
आहे भोर भिनसार, आहे भोर भिनसार।
आजू के दिनवा हो दीनानाथ,
हे लागल एती बेर,
हे लागल एती बेर।
 
बाट में भेटि गेलगे अबला,
एकटा अन्हरा पुरुष, एकटा अन्हरा पुरुष।
अंखिया दियेतेगे अबला
हे लागल एती बेर,
हे लागल एती बेर।
 
बाट में भेटिए गेलगे अबला
एकटा बाझिनिया, एकटा बाझिनिया।
बालक दियेते गे अबला,
हे लागल एती बेर,
हे लागल एती बेर।

 

नारियलवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से,
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय ॥

ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए,
सुगा गिरे मुरझाए ॥

ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से,
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय ॥

ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए,
सुगा गिरे मुरझाए ॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से,
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय ॥

ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए,
सुगा गिरे मुरझाए ॥

सभे फलवा जे फरेलन खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से,
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय ॥

ऊ जे मारबो रे सुगवा धनुख से,
सुगा गिरे मुरझाए,
सुगा गिरे मुरझाए ॥

ऊ जे सुगनी जे रोवेली वियोग से,
आदित होई ना सहाय,
आदित होई ना सहाय,
आदित होई ना सहाय,
देव होई ना सहाय,
आदित होई ना सहाय,
देव होई ना सहाय ॥

नारियलवा जे फरेला खबद से,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ओह पर सुगा मेड़राए,
ऊ जे ख़बरी जनैबो अदित से,
सुगा दिहली जुठियाय,
सुगा दिहली जुठियाय ॥

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके,
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ऐ बरितया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी ॥

हमरो जे बेटवा कवन अईसन बेटवा से उनके लागी,
हमरो जे बेटवा कृति अईसन बेटवा से उनके लागी,
हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी,
हे करेली छठ बरतिया से उनके लागी ॥

अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके,
अमरुदिया के पात पर उगेलन सुरूज मल झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके,
ए करेलु छठ बरतिया से झांके झुके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ए बरितिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी ॥

हमरो जे स्वामी कवन अईसन स्वामी से उनके लागी,
हमरो जे स्वामी पवन जी अईसन स्वामी से उनके लागी,
ए करेली छठ बरतिया से उनके लागी,
ए करेली छठ बरतिया से उनके लागी ॥

नरियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके,
नरियर के पात पर उगेलन सुरूजमल झांके झूके,
ए करेलू छठ बरतिया से झांके झूके,
ए करेलू छठ बरतिया से झांके झूके ॥

हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी,
हम तोसे पूछी बरतिया ए बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी ॥

हमरो जे बेटी कवन अईसन बेटिया से उनके लागी,
हमरो जे बेटी इपू अईसन बेटिया से उनके लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से उनके लागी,
ए करेलू छठ बरतिया से उनके लागी ॥

भोरवे में नदिया नहाईला आदित मनाईला हो,
बाबा फूलवा अक्षतवा चढ़ाईला सब गुण गाईला हो,
बाबा फूलवा अक्षतवा चढ़ाईला सब गुण गाईला हो ॥

अस धरवाईब सईया अन्हरिया से बोझिल हो,
बाबा अँगने में मांगीला अंजोर ई मथवा नवाईला हो,
बाबा अँगने में मांगीला अंजोर ई मथवा नवाईला हो ॥

गजमोती चउका पुराईला अंचरा बिछाईला हो,
बाबा अँगने में फूलवा त लागेला फलवा न खाईला हो,
बाबा अँगने में फूलवा त लागेला फलवा न खाईला हो ॥

ताना देके कहेले गोतीनिया ई बाँझ बा बहिनिया नु हो,
बाबा सुनी सुनी बोलिया गोतीनिया मो लोरवा बहाईला हो,
बाबा सुनी सुनी बोलिया गोतीनिया मो लोरवा बहाईला हो ॥

चुप रहु धीर करूँ दुखिया ना सुन रही कोखिया नु हो,
बस आजु के नव ये महिनावा होरिला मुस्काईला हो,
बस आजु के नव ये महिनावा होरिला मुस्काईला हो,
बाबा फूलवा अक्षतवा चढ़ाईला सब गुण गाईला हो,
बाबा फूलवा अक्षतवा चढ़ाईला सब गुण गाईला हो ॥

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