ऋचा की कविताएं

जिंदगी रोज ही कुछ जोड़ देती है कहानी में |

जब भी जी चाहे नए मोड़ देती है कहानी में ||

ज्योति सी वृत्ति तुम्हारी हो,
हे !!! प्रदीप अंजोर करो।
अदृश्य शत्रु बैठा छिपकर,
मत शोर करो मत शोर करो।।
 
अन्धकार यह कैसा छाया
वसुधा पर है काल का साया।।
अनाचार का घट है फूटा,
देव कोप या कोई माया।।
पाप व्याधि अज्ञान तमस,
मिट जाए ऐसी भोर करो।
 
अदृश्य शत्रु बैठा छिपकर,
मत शोर करो मत शोर करो।।
©️  कवयित्री ऋचा राय #CORONA
#रजनी
 
रजनी तू क्यों इतनी काली।
अम्बर धूमा, मेदिनी काली।।       मेदिनी – धरती
 
पगध्वनि चपला, आनन नीरव ।
खनखन वलयों सा खग कलरव।।
वेणी में तारकमणि चमके।
विधु टिकुली भाल सजा दमके।।
क्यों नहीं सुहागन कि लाली।
 
रजनी तू क्यों इतनी काली।।
 
मेरी  कविता – #मेरी_विदाई_हो_रही#श्रद्धांजली कविता के वास्तविक भाव समझने हेतु पूरी कविता सुनें
गत वर्ष #हैदराबाद में घटी #बलात्कार की उस घटना ने मेरा हृदय बूरी तरह झिंझोड़ दिया था। अपनी #पीड़ा को प्रस्तुत करने का साहस नहीं हो पाया था। मरते समय पीड़िता के मन मस्तिष्क में उत्पन्न झंझावात को आज मेरे शब्दों में सुनें ।
 
आशा है यह कविता मानव हृदय को उस असहनीय पीड़ा एवम् दर्द का आभास कराएगी
तरूणी के कोमल मन में अनेकों भाव पल रहे थे।जीवन के अंतिम क्षण की असहनीय पीड़ा एवम् उसके मधुर भाव जिनको वह जीना चाहती थी, सब कुछ उसके मस्तिष्क में जो तूफान ला रहे थे  , यह कविता मात्र उसका एक अंश है..
 

तुम गगन सम्राट दिनकर,

मै सुमन सूरजमुखी हूं।

🌻

हे दिवाकर विश्व सर्जक,

राह अपलक देखती हूं।।

 

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