गत वर्ष #हैदराबाद में घटी #बलात्कार की उस घटना ने मेरा हृदय बूरी तरह झिंझोड़ दिया था। अपनी #पीड़ा को प्रस्तुत करने का साहस नहीं हो पाया था। मरते समय पीड़िता के मन मस्तिष्क में उत्पन्न झंझावात को आज मेरे शब्दों में सुनें ।
आशा है यह कविता मानव हृदय को उस असहनीय पीड़ा एवम् दर्द का आभास कराएगी
तरूणी के कोमल मन में अनेकों भाव पल रहे थे।जीवन के अंतिम क्षण की असहनीय पीड़ा एवम् उसके मधुर भाव जिनको वह जीना चाहती थी, सब कुछ उसके मस्तिष्क में जो तूफान ला रहे थे , यह कविता मात्र उसका एक अंश है..