COVID POSITIVE कोविड पॉजिटिव

Writer

Richa Rai

भाग 2

 

                     

 

               एंबुलेंस की आवाज सुन बच्चे परेशान हो गए ,  कमरे में उनकी पदचाप मुझे उनकी व्याकुलता का संदेश दे रही थी। मैंने कमरे से ही आवाज लगाई, बेटा जाओ आप दोनों, डरना मत,  आप दोनों एकदम स्वस्थ हो, सभी का मन निश्चिंत हो जाए , इसलिए जांच जरूरी है । सकुचाते हुए बच्चे एंबुलेंस में बैठ गए। हम उनके पास भी नहीं जा पा रहे थे। इप्शिता को लगभग खींचते हुए संस्कृति जब पीछे मुड़कर हमें देख रही थी , तो हम वहां नहीं थे । हम दोनों अपने कमरे की बालकनी से उन्हें जाता देख रहे थे । नियमानुसार बच्चों की भी कोरोना जांच कराना आवश्यक था, हालांकि उनमें कोई लक्षण परिलक्षित नहीं था।

               शंखपुष्पी के नीले पुष्पों का मुंह खुला का खुला रह गया था, दो दिनों बाद मुझे देखकर। मेरी स्थिति पर व्याकुल से हो रहे थे वह भी। नीम पर चढ़ती उतरती गिलहरियां रुक रुक कर मुझ पर नजर डाल रही थी। रोज कुछ चावल के दाने डाल देती थी मैं, अपने छोटे से उपवन में । आसपास के पक्षी, गिलहरी यहां तक कि चीटियों को भी पता था वह स्थान।  सभी भ्रमित थे।

               अरे !!!!! तुम इतनी देर से यही खड़ी हो, लेट जाओ, चक्कर आ जाएंगे फिर। पवन की बात सुन मैं भी आश्चर्य में पड़ गई, मुझ में इतनी शक्ति कहां से आ गई थी , मुझमें ऊर्जा का धीमा संचार मुझे प्रतीत हो रहा था। रात भर कोई भी नहीं सोया था । कोविड पॉजिटिव की सूचना ने मेरे पूरे परिवार को झिंझोड़ कर रख दिया था।  बलिया, मुंबई ,दिल्ली से लेकर जर्मनी तक सभी व्याकुल, चिंतित एवं असमंजस की स्थिति में असहाय अवस्था  के शिकार हो गए थे । 

                कल रात्रि का सन्नाटा, संस्कृति से उन सब की वार्ता को मुझ तक प्रेषित कर रहा था। मम्मी बहुत ही परेशान थीं । पापा तो सब कुछ अपने विशाल हृदय में छुपाकर रख लेते हैं।  एक बार ही उन्हें रोता देखा था मैंने, मेरी विदाई पर फूट-फूटकर रोए थे मुझे गले लगा कर, पितृ वात्सल्य का सागर उड़ेल दिया था मुझ पर उन्होंने। निखिल भी बहुत घबरा गया था। मेरे पास आने की तैयारी कर रहा था , शायद चल भी दिया होगा। रिंपी तो शुरू से ही रोनू थी, थोड़ी सी भी बात हो, उसका रोना प्रारंभ ।  मैं ही तो संभालती थी उसे , पता नहीं क्या हाल बना रखा होगा उसने ,रह भी तो रही है, सात समंदर पार। रागिनी कुछ दिनों से नाराज थी मुझसे, डांट लगा दी थी मैंने उसे किसी बात पर  ,कल से खाए पिए बिना रो रो कर बुरा हाल हो गया था उसका। रीमा, पापा की तरह ही सब कुछ मन में छिपा रखती थी ,आज वह भी व्याकुल थी। मुंबई की वर्षा भी ,उसके अश्रुओं से भयभीत हो गई थी। मुझे पता है , सभी ने कठिन मनौतियां कर डाली होंगी, प्रार्थना कर कर प्रभु की निद्रा ही भंग कर दी होगी । महामृत्युंजय मंत्र के हजारों जाप संपन्न हो गए होंगे और लाखों होने को होंगे।

                    बच्चे स्नान कर कॉर्न फ्लेक्स खा रहे थे । संस्कृति आज कुछ थकी सी और चिंतित लग रही थी । हम दोनों अस्पताल जाने की तैयारी करने लगे थे , संस्कृति , इप्शिता को हमारे कोविड पॉजिटिव होने के विषय में बता रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह आने वाले समय के लिए स्वयं को तैयार कर रही हो ।

लगातार फोन आ रहे थे। फोन उठाया तो 42 कॉल 104 मैसेज।

 वंदना कॉलिंग….

 हैलो!!!!!

 हैलो , हां वंदना।

 ऋचा कैसी हो????

 सुना अभी !!! भैया और तुम दोनों कोरोना पॉजिटिव हो गए। 

 बच्चे कैसे हैं ?

 कुछ खाया कि नहीं?

 मैं अभी नाश्ता भेजती हूं ।

 चिंता मत करो !! बच्चे मेरे पास रह लेंगे ।

                  एक सांस में ही सब कुछ बोल गई थी वह, नाम के समान ही भावना भी उनकी अनमोल है । जब भी कभी बीमार हुई हूं  मै, उनकी पूरी सब्जी खा कर ही स्वस्थ होती हूं।

                  फोन कॉल, व्हाट्सएप मैसेज खंगाला, कुछ ऐसी कॉल थी जिनकी आशा भी नहीं थी और कुछ कॉल थी ही नहीं जिनकी आशा में फोन उठाया था।

                  जरूरी सामान बांध कर एंबुलेंस का इंतजार करने लगे हम तभी घंटी बजी । सामने दरवाजे पर हाथ में खाने का टिफिन लिए डॉ विश्वदीपक भैया खड़े थे।  हमने कहा, टिफिन नीचे रख कर चले जाइए आप, हम उठा लेंगे परंतु वह नहीं माने , किसी अपने को हाथों में ही भोजन देना चाहिए , कह हमें शुभकामनाएं एवं सांत्वना दी। मानवता की चरम स्थिति भैया जैसे सरल व्यक्ति में ही होती है। टिफिन में इतना कुछ था कि बच्चों के भोजन की चिंता समाप्त हुई।

                   एंबुलेंस आ गई थी।

                  मामा आ रहा है। परेशान मत होना ।अपने कमरे में ही रहना। मेरा कमरा बंद रहने देना। हमारे जाने के बाद ही बाहर निकलना आप दोनों।

                इप्शिता को आंसू रोके देख कलेजा फट गया मेरा। बाय मम्मा!! बाय पापा !! हमारी चिंता मत करिएगा हम तो बहुत मज़े करेंगे।  

              पता नहीं कितना समय लगेगा । 14 -15 दिन तो सामान्यतः लग जाते हैं, किसी किसी को महीने भर भी । हे भोलेनाथ!! कृष्णा!! रक्षा करें!! अपने बच्चे आपकी शरण में छोड़ती हूं । अपनी करुणा उन पर बनाए रखें।

                बच्चे माने नहीं!! बालकनी में खड़े, डबडबाई आंखों से हमें बाय कर रहे थे , और हम दोनों तड़पते हुए , असहाय उन्हें अकेला छोड़ आगे बढ़ते जा रहे थे।

  

 

                              

                         हम अस्पताल में प्रवेश कर रहे थे, और सामने से पॉलिथीन किट में लिपटा कोई निर्जीव शरीर बाहर आ रहा था। पॉलिथीन हटाओ! देश बचाओ!! अभियान चलाया था, कुछ ही माह पूर्व मैंने, प्लास्टिक के दुरुपयोग को रोकने की सलाह लिए कई रैलियां एवं कार्यक्रम आयोजित किए थे । मृत शरीर पर लिपटी पॉलिथीन मेरा उपहास कर रही थी, देखा!! मैंने तो अब कफन का भी स्थान ले लिया । हा हा हा!!!!

 रुको रुको भाई!!

 शब्द ने उसके अट्टहास को रोका।

                  चारों तरफ बैरिकेडिंग थी, हम दोनों रुक गए । पवन उनसे भर्ती होने की प्रक्रिया पर वार्तालाप कर रहे थे।  मैं बुरी तरह थक गई थी, बैठना चाह रही थी ।एक ऊंची सी बेंच पर 3 – 4 प्रयासों से उचक कर, बैठी फिर लेट गई । बच्चों से थोड़ी बात की, कब निद्रा रानी ने अपने आंचल की छांव दी, पता ही नहीं चला।

                 सघन वन था, प्रकाश कहीं नहीं दिख रहा था। आकाश की ओर दृष्टि डाली, तो लंबे घने वृक्षों ने सूर्य की किरण को रोक रखा था।प्रत्येक दिशा में तमस का साम्राज्य स्थापित था। गहन अध्ययन कर मेरे नेत्र मार्ग तलाश रहे थे।तभी दूर से ही कहीं कोई करुण चीत्कार सुनाई दी , भय पर अंकुश लगाने में असमर्थता हो रही थी मुझे। रुदन तेज होने लगा था, जैसे मेरे समीप ही हो ।  बंद नेत्र में ही चेतना ने स्मरण कराया कि मैं अस्पताल में हूं। फिर कोई अनहोनी हुई थी शायद कोई जा चुका था मोह , माया के सभी बंधन त्याग कर और पीछे छोड़ गया था, क्रंदन , रुदन और खालीपन, जो दहाड़ मार मार कर व्याकुलता के शिखर पर चढ़ने को आतुर था। मैं चैतन्य अवस्था में भी भावशून्य, विचारशून्य अपने कर्ण बिना स्पर्श किए ही बंद करने का प्रयास करती रही थी। धीरे धीरे पुनः शांति हो गई । हल्की सी आवाज भी गूंज रही थी , जैसे गहरे कूप से आ रही हो।

                ऋचा उठो!! चलो! सैनिटाइजर वाला आ गया है, हमें वार्ड में चलना होगा ,संभालो अपने आप को !! बच्चे फोन कर रहे हैं, तुमसे बात करना चाहते हैं। पीपीई किट पहने , स्प्रे गन लिए, कोरोना योद्धा , हमारे समक्ष, शत्रु विनाश हेतु सक्षम एवं तत्पर, विद्यमान था। सामान उठाकर ,हम दोनों वार्ड की तरफ चले। पीछे से हम पर सैनिटाइजर का भरपूर वार जारी था । ऐसा प्रतीत होता था, जैसे हमारे शरीर से कोरोना नामक कई राक्षस निकलकर आक्रमण कर रहे हैं , और पीछे से कोरोना योद्धा, निशाना साध साध कर उनका वध कर रहा हो। कभी पैरों पर ,पीठ पर, हथेली पर छिड़े युद्ध का आभास करते, हम वार्ड के मुख्य द्वार पर थे।

                   तभी नर्स , हां नर्स ही होगी । सत्य कहें तो इस पीपीई किट में क्या चिकित्सक, क्या नर्स क्या सफाई कर्मी सभी की एक जैसी वेशभूषा हो गई थी , जब तक उनके मुखारविंद ना खुलें , पता ही नहीं चलता था कि सामने कौन है। नर्स, बहुत तेज चीखी , वहीं रुको वहीं रुको !!! हम प्रतीक्षा करने लगे , मैं तो नीचे जमीन पर ही बैठ गई । थोड़ी देर में नर्स भागते हुए , सामने दूर से निकली, थोड़ा आगे चलकर फिर चीखते हुए बोली , जाइए सामने वाला कमरा है आपका । आह!!! क्या स्थिति बनाकर रख दी है इस कोरोना ने। कभी कहीं भी जाने पर लोगों का भरपूर स्नेह मिलता था।आज कोई हमारे समीप नहीं आना चाहता , दूर से ही निकल जाना चाह रहे हैं सभी ।

                बच्चों की रिपोर्ट की प्रतीक्षा में हम व्याकुल हो रहे थे । हृदय में कभी हिमालय के समान भारीपन हो जाता था, कभी सहसा आशंकाओं की सुनामी उठ पड़ती थी । फोन लगातार घनघना रहे थे ,  और संदेशों ने भी पर्वत का आकार लेना शुरू कर दिया था। बच्चों के अलावा किसी से वार्ता करने की इच्छाशक्ति समाप्त हो गई थी । अंतर्मन पर बोझ लिए चिकित्सकीय प्रक्रिया में प्रतिभाग कर रही थी मैं। पवन बगल के दूसरे वार्ड में शिफ्ट हो गए थे।                   

                 फेसबुक खोला तो पहला ही संदेश था, श्रद्धांजलि संदेश स्वर्गीय कमला रानी कैबिनेट मंत्री का कोरोना से निधन हुआ। मस्तिष्क में दुर्बलता छाने लगी , फोन बंद करके रख दिया।आकाश में घन बढ़ते जा रहे थे एवं मेरे मन में शंकाएं । सहसा विस्फोट सा हुआ और विचार शून्य हो गई है मैं। धीरे धीरे एक भावना हृदय में स्थापित होती चली गई , ईश्वर जो करेंगे वही हमारे हेतु सर्वोत्तम होगा । संघर्ष करने की क्षमता हमें प्रदान करें परमपिता।

              बच्चे घर पर अकेले ही थे , अभी कोई नहीं पहुंच पाया था उनके पास पर वह शांत थे । 12:30 रात में पवन का फोन आया , ऋचा घबराना मत , दोनों ही बच्चे पॉजिटिव है,  हमें संयम से काम लेना होगा। मैं अब शांत थी, आगे क्या करना होगा मस्तिष्क में मंथन अवश्य चल रहा था। निखिल को फोन मिलाया भाई जहां तक पहुंचे हो वहीं से लौट जाओ। दोनों बच्चे अब मेरे साथ ही अस्पताल में रहेंगे ।

                 खिड़की पर धुंध थी। पूर्व में लालिमा सूर्योदय का संदेश दे रही थी । जीवन में कुछ एक बार ही इस प्रकार सूर्योदय दर्शन किए थे मैंने , सूर्योदय का एक-एक क्षण मेरे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण कर रहा था । प्रत्येक रात्रि के पश्चात सूर्य उदय होता ही है, यही प्रकृति का नियम है।              

                       लूडो ,ड्राइंग कॉपी ,रंग ,कार्ड्स, किताबें, मेरी डायरी ,कलम,इप्शिता की डॉल्स, ड्राई फ्रूट्स एक लंबी सूची भेज दी मैंने संस्कृति को , और लिखा बेटा तुम दोनों को आना है मेरे पास । 

                      चार-पांच घंटे में इप्शिता और संस्कृति मेरे पास थी । इप्शिता ने आते ही कहा, मम्मा दीदी को भी कोरोना हो गया, पर मुझे नहीं हुआ फिर मैं आप सभी के पास कैसे रहूंगी। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया , बेटू डॉक्टर अंकल आपको कुछ ऐसी दवा दे देंगे, जिससे हमारा संक्रमण आप तक नहीं जाएगा आप हमेशा स्वस्थ रहोगी और हमारे साथ भी रहोगी। दो-तीन दिन बाद मुझे स्पर्श कर खिल उठी थी वह। 

                       दीदी मैंने कहा था ना काढ़ा पी लिया करो मैं पूरा फिनिश कर देती थी , देखो मैंने कोरोना को मार भगाया ।उसकी निश्चिंत मुस्कान देख हम तीनों खिल खिलाकर हंस दिए।1 घंटे में हमने वार्ड को घर के कमरे में बदल दिया । इप्शिता के बेड पर उसके साथ उसकी 5 डॉल्स भी थी । कभी शतरंज, कभी लूडो ,कभी कार्ड्स फिर नेटफ्लिक्स पर चलचित्र ।मेरी डायरी और कलम भी मेरा अभिन्न मित्र के भांति साथ निभा रही थीं।

                  अपने शरीर पर पूर्ण नियंत्रण कर अस्पताल के व्यतीत प्रत्येक क्षण अपने बच्चों की प्रसन्नता एवं मुस्कान को प्रदान कर दी थी मैंने। रक्षाबंधन है मम्मा आज, हमारी इप्शिता को क्राफ्ट्स, चित्रकारी आदि का बड़ा शौक है ।वह  अपनी अवस्था से बढ़कर चित्रण करती है । रुमाल से पतली पट्टियां काटकर उसने गुलाब वाली दो राखी बनाई । ड्राई फ्रूट्स ,रसगुल्ले और गुलाब जामुन। बच्चों के आते वक्त हमारी पड़ोसी डॉ पूनम ने गुलाब जामुन सहित  कुछ भोज्य पदार्थ भेज दिया था,  प्लेट में सजा अस्पताल में एक अनोखा रक्षाबंधन मनाया गया।

                 जो भी चिकित्सक ,नर्स ,सफाई कर्मी हमारे वार्ड में आते थे, हमें सांत्वना देने का प्रयास करते फिर बच्चों की सकारात्मकता की सराहना अवश्य करते ।तीसरे ही दिन , सफाई कर्मी मंजू ने कहा दीदी आप तीनो को कोरोना तो हो ही नहीं सकता , जब आते हैं आप लोग खेलते ,हंसते, गाते ही दिखते हो।

                सायं काल में मोबाइल पर ही अपना मनपसंद गाना बजा कर संस्कृति और इप्शिता नृत्य प्रस्तुति देती थी। एक दिन मैंने भी प्रयास किया , नृत्य का उत्साह मेरे कमजोर शरीर को निरुत्साहित कर रहा था।  दवा, काढ़ा, चाय भोजन सभी कुछ कमरे के बाहर रखे मेज पर रख तेज आवाज से हमें बता दिया जाता था। परंतु अब हमारे उत्साह को देखकर नर्स भी कमरे में आकर दवा देने लगी थी । भोजन पहुंचाने वाले भैया कठिन परिस्थितियों में खतरे वाले क्षेत्र में आकर संक्रमितों की उदर क्षुधा शांत कर रहे थे। हम जीवन पर्यंत ऋणी रहेंगे। 

                सभी कोरोना योद्धा वास्तव में अपने प्राणों को संकट में डाल कर ही अपनी सेवाएं दे रहे थे । देश के प्रत्येक व्यक्ति की ओर से मैं उनके महान एवं दैविक कार्य हेतु कृतज्ञता प्रकट करती हूं।फोन के माध्यम से निरंतर हमारे स्वास्थ्य पर जिला प्रशासन, अस्पताल प्रशासन एवं माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय के कार्यालय से नजर रखी जा रही थी।

                एक सुबह फोन के संदेशों पर दृष्टि डाली , हजारों की संख्या में फूल, बुके, प्यार ,स्नेह ,ख्याल के स्माइली और अति सुंदर भावनात्मक हृदयस्पर्शी शुभकामनाओं की बाढ़ सी आ गई थी । प्रत्येक संदेश से मुझमें अपरिमित ऊर्जा समाहित हो रही थी । वर्षों के उपरांत कई अपनों की कॉल और संदेश भी प्राप्त हुए।  अब मेरा परिवार कोरोना को भूल चुका था और इस एकांतवास को आनंद एवं उत्साह के साथ मना रहा था। कभी-कभी पवन भी घूम जाते थे और हम सभी को उत्साहित देख कर निश्चिंत भी हो जाते थे।

             सूर्य देव को प्रणाम किया कृष्णा को याद किया। उनका जन्मदिन है आज। गत वर्ष जन्माष्टमी की धूम का स्मरण हो आया, स्नान कर गीता के कुछ श्लोक पढ़े और कृष्णा को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित कर स्वयं को अनुग्रहित किया। प्रतिदिन की तरह आज स्वयं के लिए कुछ भी नहीं मांगा आज तो उनका जन्मदिन है उन्हें सुंदर भाव अर्पित करने का दिवस है।

 कान्हा पुनः आगमन हो.. प्रेम में डूबा हर मन हो।।

पंक्तियां बार-बार मेरे कानों में गूंज रही थी।

                  10:00 ही बजे होंगे, चिकित्सक महोदय का आगमन हुआ, अरे आप सब कब तक रहेंगे, सभी स्वस्थ लग रहे हैं । आप बताइए कब तक रखेंगे आप यहां हम लोगों को मैंने कहा और फिर सभी हंस पड़े । सभी की कोरोना जांच हुई ।  ईपू चित्रकारी करने लगी , संस्कृति पढने लगी  कुछ, द हकलबेरी फिन ,अंग्रेजी साहित्य उसे पसंद है । मैंने फोन उठाया, अंधाधुंध कल पूर्ण नहीं हुई थी। आयुष्मान राणा के चलचित्र भिन्न होते हैं।

             हमारा मनोरंजन काल चल ही रहा था, तभी पवन के आने की आहट हुई हम तीनों उठ कर बैठ गए। मायूसी उनके चेहरे पर स्पष्ट दिख रही थी । धीरे से कहा रिपोर्ट आ गई है । कोई बात नहीं पहली दूसरी रिपोर्ट कभी किसी की नेगेटिव नहीं आती, आप चिंता न करें अगली जरूर नेगेटिव आएगी । मैंने कहा। फिर वह धम से बेड पर बैठ गए। पानी मांगा ,मेरी चिंता बढ़ने लगी। कोई और बात तो नहीं । बच्चों की भी दृष्टि उन पर टिक गई थी इप्शिता संस्कृति बेटा हम चारों कोविड नेगेटिव हो गए।

  आ आ आ आ…..

                अति उत्साह मैं हम सभी ने एक साथ बोला तो कमरा गूंज उठा। इप्शिता संस्कृति तो कूदने ही लगी। मैं मुस्कुराते हुए अपने सामने एक अकल्पनीय क्षण को जीते हुए, ईश्वर को धन्यवाद देने लगी।

               अस्पताल से निकल रहे थे तभी सामने ही एक अति विशाल व्यक्तित्व का सुकांत युवक जमीन पर अचेत हो गिर पड़ा, उसकी करुण चीत्कार उसके असहनीय कष्ट का परिचय दे रही थी । बहुत लोग थे आस-पास पर कोई उसके पास नहीं आ रहा था । मेरे हाथ में पानी की एक बोतल थी। उसके पास रखकर कुछ क्षण के लिए वही खड़ी हो गई मैं । भैया ढाढस रखो , साहस और हिम्मत से काम लो । ईश्वर तुम्हारी सहायता अवश्य करेंगे।

                 मुझे नहीं पता था उसे क्या हुआ था । पीछे मुड़कर देखा तो कोई पानी पिला रहा था उसे उठाकर। मेरा मन कह उठा

 दुनिया में कितना गम है ।

 मेरा गम कितना कम है।।

                       घर की स्थिति 9 दिन में बद से बदतर हो गई थी, पर तब भी वह बहुत ही प्यारा लग रहा था ।सभी कह रहे हैं आप लोग इतनी जल्दी कैसे स्वस्थ हो गए फोन रखते हुए पवन ने कहा। हम सभी मुस्कुराने लगे ।

                 शरीर सभी का अत्यंत कमजोर हो गया था फिर भी घर लौटने के उत्साह में मगन हम सभी ने मिलकर घर को पूर्व की स्थिति में लाने का पूर्ण प्रयास किया । दीपक जलाकर कृष्णा का जन्म दिवस कल मनाने का संकल्प लिया , मथुरा में तो कल की रात्रि ही प्रभु का स्वागत होता है। इस बार हम भी साधू संतों वाली जन्माष्टमी मनाएंगे।

                  जन्म दिवस की तैयारी हेतु बच्चों की मौखिक सूची सुनते सुनते आंख लग गई थी , कलाकंद तस्मई श्रीखंड.. अभी सोई ही थी , कि समीर और वर्षा की अठखेलियों ने मेरी निद्रा साधना में बाधा डाल दी।

 कुहू …. कोकिल थी 

                   अरे सुबह हो गई ।बालकनी में निकल आई मैं। अंधेरा छंट रहा था। वर्षा ने प्रकृति के सौंदर्य  में वृद्धि कर दी थी । समीर की मादकता अभी समाप्त नहीं हुई थी। चार सुंदर गुलाब मेरे छोटे से उपवन में खिले हुए थे । चार !!!! चार ही क्यों??  

                नमन परमपिता परमेश्वर को, जिन्होंने आज पुनः बोध कराया कि संघर्ष करने की प्रेरणा के साथ , सकारात्मक दृष्टिकोण एवं उत्साह से जीवन के मार्ग पर बढ़ते रहो। सकारात्मकता ईश्वरीय प्रेरणा है, यह ईश्वर के आशीष के समान सदैव प्रतिफल प्रदान करती ही है।

            मम्मा दीदी कह रही है, कि मुझे भी कोरोना हो गया था। ऐसा तो नहीं है न मम्मा। देखिए मुझे गुस्सा आ रहा दीदी पर।

             आ रही हूं बच्चों…संस्कृति!! इप्शिता!! अरे रुको दोनों…

सर्वे भवन्तु सुखिनः

ऋचा राय

 

COVID POSITIVE कोविड पॉजिटिव भाग 1

COVID POSITIVE PART-1